विशेष / 2023-11-29 20:47:33

दानवीर,जागरूक समाजसेवी की जयंती पर सर कामेश्वर सिंह को भारत रत्न दिये जाने का आग्रह किया कुमार कपिलेश्वर सिंह ने। (आलोक "अकेला")

दरभंगा.....महाराजाधिराज सर कामेश्वर सिंह कि दो दिवसीय 116 वीं जयंती समारोह के दूसरे दिन आज महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह मेमोरियल राज अस्पताल कामेश्वर नगर , दरभंगा में मनाया गया।इस अवसर पर कार्यक्रम मे होमियोपैथी की जांच एवं मुफ्त दवाई वितरण शिविर लगाया गया जहां सैकड़ों की संख्या में लोग लाभुक हुए। कुमार कपिलेश्वर ने कहा की मेरे दादा जी महाराजाधिराज का राष्ट्र के प्रति योगदान अविस्मरणीय है उन्होंने राष्ट्र के विकास के साथ-साथ मिथिला के विकास को एक सूत्र में बांधने का काम किया। उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि वह संविधान सभा के सदस्य तो थे ही राज्यसभा सांसद भी थे। कामेश्वर सिंह ने न केवल संस्थाएं स्थापित की, बल्कि छात्रों के लिए विशेष रूप से तकनीकी क्षेत्र में कई तरह की छात्रवृत्ति की घोषणा भी की। पटना और कोलकाता विश्वविद्यालय में भी छात्रवृति के साथ साथ चेयर की स्थापना की। महाराजा कामेश्वर सिंह ने नोबेल विजेता डॉ सीवी रमण को वृहत शोध के लिए अनमोल मुगल हीरा उपहार में दिया था।दूसरे विश्व युद्ध में कामेश्वर सिंह ने खुलकर भारतीय सैनिकों की मदद की। उन्होंने भारतीय सैनिकों के लिए 50 शेवरले एम्बुलेंस उपहार में दीं। 2 युद्धक विमान, युद्ध पोशाक और स्वेटर के लिए 15000 रुपये, आवास के लिए 450000 रुपये और सेना के लिए कनाडाई नर्स फाउंडेशन को5000 रुपये की मदद दी।1940-42 में काहिरा, मिस्र, 1943 में युवा महिला ईसाई संघ को एक भव्य भवन और 4,45,000/- उपहार में दिया।कामेश्वर सिंह ने अनाथ और असहाय लोगों के लिए अपनी प्रिय रानी प्रिया की स्मृति में दरभंगा में कामेश्वरी प्रिया पुअर होम की स्थापना की। दरभंगा में जब इस संस्था की नींव रखी जा रही थी, उसी कालखंड में कोलकाता में मदर टेरेसा अपनी संस्था की स्थापना कर रही थी। महाराजा ने मूक, बहिर और अनाथ बच्चों के लिए भारत का सबसे बड़ा अनाथालय खोला था, जिसमें अपनी दिवंगत पत्नी महारानी प्रिया की पूरी संपत्ति और सामान दान में दे दिया।राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक क्षेत्रों के साथ साथ महाराजा कामेश्वर सिंह ने धार्मिक क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण कार्य किये।देवघर स्थित बैद्यनाथ महादेव मंदिर में दलितों के प्रवेश का अधिकार दिलाने में महाराजा कामेश्वर सिंह की अहम भूमिका रही है। महाराजा कामेश्वर सिंह के बिहार के सबसे बड़े धार्मिक न्यास की स्थापना की, जिसमें करीब 107 मंदिरों का प्रबंधन होता है।भूमिहीनता के पाप से तिरहुत के लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए महाराजा कामेश्वर सिंह ने विश्व का सबसे बड़ा जमीन दान करने का काम किया। भूदान के तहत महाराजा कामेश्वर सिंह ने विनोवा भावे को कुल एक लाख 17 हजार एकड़ जमीन दान कर दी। जिसका वितरण भूदान कमेटी अब तक नहीं कर पायी है।महाराजा कामेश्वर सिंह भारत के संविधान निर्माताओं में से एक हैं। महाराजा कामेश्वर सिंह 1946 में संविधान सभा के लिए निर्वाचित हुए।कामेश्वर सिंह मिथिला के नरेश होने के साथ साथ विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के भी प्रमुख थे। राज्य परिषद के सदस्य होने के साथ साथ वो बिहार ज़मींदार संघ, बंगाल ज़मींदार संघ,यूनाइटेड प्रोविंस तालुकदार संघ ,अखिल भारतीय ज़मींदार संघ, बिहार हिंदू महासभा, मैथिल महासभा और ब्रिटिश इंडिया जैसी संस्थाओं के संस्थापक अथवा अध्यक्ष रहे।कामेश्वर सिंह के राजनीतिक कद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1938 में बिहार राज्य कांग्रेस और बंगाल कांग्रेस नेता के बीच शांति कायम करने में उनकी मुख्य भूमिका रही।कामेश्वर सिंह किसानों के बड़े संरक्षकों में से एक थे।उन्होंने राज्य परिषद में कृषि आय पर टैक्स लागू करने का कड़ा विरोध किया और सरकार को विधेयक वापस लेना पड़ा।पहला बिहार किरायेदारी अधिनियम भी कामेश्वर सिंह के विचारों से संभव हो पाया। कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में डॉ राजेंद्र प्रसाद ने महाराजा कामेश्वर सिंह से जमींदारों और स्वामी सहजानंद के बीच समझौते का रास्ता निकालने का आग्रह किया। कामेश्वर सिंह की पहल के बाद ही दोनों पक्षों के बीच समझौता हुआ। 1936 में बिहार काश्तकारी अधिनियम बनकर तैयार हुआ।डॉ सर कामेश्वर सिंह ने जमींदारों, किसानों और भूमिहीनों के बराबर हिस्सेदारी के साथ कृषि के लिए उद्योग की स्थिति की वकालत की।कामेश्वर सिंह ने अपने पूर्वजों की तरह खेती और किसानी पर सर्वाधिक ध्यान दिया। उन्होंने किसानों के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना की शुरुआत की। इस योजना के लिए 5 लाख रुपये का अनुदान दिया। डेयरी के विकास के लिए पर्याप्त चारागाह भूमि और उसका रख-रखाव का संस्थागत प्रावधान किया और दरभंगा समेत कई शहरों में गौशालाओं का निर्माण किया। कामेश्वर सिंह ने सहकारिता को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किये। उन्होंने ग्राम सहकारिता को संरक्षण दिया और 5 लाख रुपये इसके लिए आवंटित किये। महाराजा कामेश्वर सिंह बिहार के सबसे बड़े उद्योगपति भी थे। वो दरभंगा एविएशन, वालफोर्ड मोटर्स, दरभंगा सुगर मिल, ब्रिटिश इंडिया कारपोरेशन, रमेश्वर जूट मिल, अशोक पेपर मिल, ओक्टाविउस स्टील, विल्लिएर्स लिमिटेड, थैकर्स स्पिंक एंड को, थाकेर्स प्रेस, दरभंगा कोल्ड स्टोरेज, दरभंगा पावर सप्लाई, दरभंगा कंस्ट्रक्शन्स, शेयर एंड देबेनचर्स इत्यादि उद्यम के मालिक थे। इसके अलावा देश के दर्जनों कंपनियों में उनके निर्णायक शेयर थे। साथ-साथ खेती डेरी, गौशाला के रखरखाव तथा देश के कई विश्वविद्यालय , दरभंगा मेडिकल कॉलेज, एयरपोर्ट, संस्कृत शोध संस्थान के निर्माण में उनका योगदान रहा है। एयरपोर्ट का नाम महाराज साहब के नाम पर होना चाहिए कुमार कपिलेश्वर सिंह ने कहा कि मेरे दादाजी जहां भारत चीन युद्ध के समय से लेकर अनाथालय स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान निभाया, सरकार से माँग करता हूं की उन्हें भारत रत्न दी जाए। जिससे राष्ट्र ,बिहार,सहित मिथिला गौरवान्वित होगा और यही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। मेरे परिवार के द्वारा समाज सेवा के कार्य निःशुल्क चिकित्सा शिविर, दवाई वितरण, गरीबों एवं लाचारों दिव्यांग के लिए ट्राई साइकिल, खेल गतिविधि जैसे सामाजिक कार्य के लिए तन मन धन से सदेव खड़ा रहूँगा। जयंती समारोह के समापन में महाराज साहब की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। मंच संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. संतोष कुमार ने किया ।कार्यक्रम में अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर एम एम कोले, डॉ हेमापति झा,राज अस्पताल के सचिव सह असिस्टेंट मैनेजर दरभंगा राज आशुतोष दत्त ,सह सचिव अमरकांत झा ,रमेश झा, एस्टेट ऑफिसर प्रियांशु झा , प्रशांत सेतु, बी के सिंह, डॉ मुकेश,सुभाष पंकज,डॉ दुर्गनाथ,सुमित कोले, खुशबू कुमारी,जितेंद्र ठाकुर ,पी बनर्जी, आर के दास, संतोष झा, आशोक कुमार आदि उपस्थित थे।

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